आरती

।। ॐ जय श्री श्याम हरे।।

album-art

00:00

(स्वर- रिया शर्मा)

ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे,
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे, ॐ जय श्री श्याम….

रत्न जड़ित सिंहासन, सिर पर चँवर दूरें,
तन केशरिया बागो, कुण्डल श्रवण पड़े, ॐ जय श्री श्याम….

गल पुष्पों की माला, सिर पर मुकुट धरे,
खेवत धूप अग्नि पर, दीपक ज्योति जले, ॐ जय श्री श्याम….

मोदक खीर चूरमो, सुवर्ण थाल भरे,
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करे, ॐ जय श्री श्याम….

झाँझ कटोरा और घड़ियावल, शंख मृदंग दूरें,
भक्त आरती गावे, जय जयकार करे, ॐ जय श्री श्याम….

जो ध्यावे फल पावें, सब दुःख से उबरे,
सेवकजन निज मुख से, श्री श्याम-श्याम उचरे, ॐ जय श्री श्याम….

श्री श्यामबिहारीजी की आरती, जो कोई नर गावे,
कहत ‘आलूसिंह’ स्वामी, मनवांछित फल पावे, ॐ जय श्री श्याम….

ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे,
निज भक्तों के तुमने, पूराण काम करे, ॐ जय श्री श्याम….

||श्री हनुमानजी की आरती ||

album-art

00:00

(स्वर- प्रकाश ओडेका)

आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जांके बल से गिरिवर कांपे, रोग दोष जांके निकट न झांके।।
अंजनी पुत्र महा बलदायी, संतन के प्रभु सदा सहाई।।
दे वीर रघुनाथ पठाये, लंका जारि सिया सुधि लाये।।
लंका-सी कोट समुद्र-सी खाई, जात पवन सुत बार न लाई।।
लंका जारि असुर संहारे, सियाराम जी के काज संवारे।।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े धरणी पर, आनि संजीवन प्राण उबारे।।
पैठि पाताल तोरि यमकातर, अहिरावण की भुजा उखारे।।
बाँये भुजा सब असुर संहारे, दाहिने भुजा सब संत उबारे।।
सुर नर मुनिजन आरती उतारे, जय जय जय हनुमानजी उचारे।।
कंचन थाल कपूर की बाती, आरती करत अंजना माई।।
जो हनुमानजी की आरती गावे, बसि बैकुण्ठ अमर पद पावे।।
लंका विध्वंश किये रघुराई, तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई।।

।। श्री शिव जी की आरती ।।

album-art

00:00

(स्वर- नैना गुप्ता)

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव, ब्रह्मा विष्णु सदा शिव, अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे, स्वामी पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन, हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे, स्वामी दस भुज अति सोहे।
तीनो रूप निरखता, तीनो रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी, स्वामी रुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै, चंदन मृगमद सोहै, भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे, स्वामी बाघम्बर अंगे।
सनकादिक ब्रह्मादिक, सनकादिक ब्रह्मादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूल धर्ता, स्वामी चक्र त्रिशूल धर्ता।
जगकर्ता जगभर्ता, जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका, स्वामी जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्य, प्रणवाक्षर के मध्य ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥
त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥
जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥

।। आरती श्री दुर्गा जी की।।

album-art

00:00

(स्वर- रिया शर्मा)

दोहा: दुर्गा दुर्गति दूर कर, मंगल कर सब काज।
मन मन्दिर उज्ज्वल करो, मात भवानी आज ।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवजी ।।
जय अम्बे गौरी ……..
मांग सिन्दूर विराजत, टीको मृग मदको।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चन्द्र बदन नीको ।।
जय अम्बे गौरी ……..
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्त पुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै ।।।
जय अम्बे गौरी ……..
केहरि वाहन राजत, खड़ग खपर धारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेक्त, तिनके दुख हारी ।।
जय अम्बे गौरी ……..
कानन कुण्डल शोमित, नासाचे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति ।।
जय अम्बे गौरी ……..
शुम्भ निशुम्भ विदारे, महिषासुर घाती।

धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ।।

जय अम्बे गौरी

……..
चण्ड मुण्ड संहारे, शोणितबीज हरे।
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
जय अम्बे गौरी ……..
ब्रह्माणी रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ।।
जय अम्बे गौरी ……..

चौसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा, औ बाजत डमरू ।।
जय अम्बे गौरी ……..
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुख हरता, सुख सम्पत्ति करता।।
जय अम्बे गौरी ……..
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर-नारी ।।
जय अम्बे गौरी ……..
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्री मालकेतु में राजत, कोटिरतन ज्योति ।।
जय अम्बे गौरी ……..
श्री) अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पति पावे ।।
जय अम्बे गौरी ……..
जय अम्बे गौरी, मैया जय मंगलमूर्ति, मैया जय आनन्द करनी।
तुमको निशिदिन ध्यायत, हरि ब्रह्मा शिवजी ।।
जय अम्बे गौरी ……..

।। श्री श्याम पुष्पांजलि ।।

album-art

00:00

(स्वर- नैना गुप्ता एवं प्रकाश ओडेका)

हाथ जोड़ विनती करूँ, सुणज्यो चित्त लगाय ।
दास आ गयो शरण मे, ऱखियों इसकी लाज़।।
धन्य ढूँढ़ारो देश है, खाटू नगर सुजान ।
अनुपम छवि श्री श्याम की, दर्शन से कल्याण ।।
श्याम-श्याम नित मैं रटू, श्याम है जीवन प्राण।
श्याम भक्त जग में बड़े, उनको करूँ प्रणाम ।।
खाटू नगर के बीच में, बण्यो आपको धाम ।
फागुन शुक्ला मेला भरे, जय जय बाबा श्याम ।।
फागुन शुक्ला द्वादशी, उत्सव भारी होय।
बाबा के दरबार से, खाली जाय न कोय ।।
उमापति, लक्ष्मीपति, सीतापति श्रीराम ।
लज्जा सबकी राखियो, खाटू के श्री श्याम ।।
पान सुपारी इलायची, अत्तर सुगन्धित भरपूर ।
सब भक्तन की विनती, दर्शन देवो हजूर ।।
आलूसिंह तो प्रेम से, धरे आपको ध्यान।
श्याम भक्त पावे सदा, श्याम कृपा से मान ।।

|| श्री श्याम भावांजलि ||

album-art

00:00

(स्वर- प्रियंका गुप्ता)

नाग सुता सुत श्याम को सुमरू बाराबार, खाटू वाले श्याम हो, तुम जग के दातार ।
काम कला जानू नहीं बिल्कुल हूं अज्ञान ज्ञान ध्यान मोहे दीजिए, आकर कृपा निधान ।
सरल सलोने सोहाने सुंदर सावल श्याम, रखियाँ अपने दास पर अपनी मेहर निगाह ।
खाटू खंडेले बीच में बनो आपको धाम, जो कोई ध्यावे प्रेम से, पूर्ण होवे ​​सब काम ।
हाथ जोड़ विनती करूं सुणियों चित्त लगाय, दास आ गयो शरण में रखियो इसकी लाज ।
धन्य ढूंढारो देश हैं खाटू नगर सुजान, अनुपम छवि श्री श्याम की, दर्शन से कल्याण ।
श्याम श्याम तो मैं रटूं श्याम है जीवन प्राण, श्याम भक्त जग में बड़े उनको करूँ प्रणाम ।
श्याम नाम रटते रहो, श्याम बड़े दातार, सब शन्शय मिट जायेंगे, कहके दास पुकार ।
श्याम नाम एक मंत्र है रटीयो सकल सुजान, कब हूँ तो दीनदयाल के भनक पड़ेगी कान ।
श्याम नाम सबसे बड़ो, इससे बड़ो ना कोई, जो कोई गावे प्रेम से, हृदय उजालों होए ।
श्याम नाम मीठो घनो, श्याम सुधारे काम, नाम लेत कृपा करी, जय जय बाबा श्याम ।
श्याम रटे संकट कटे, होत हृदय में ज्ञान, फागुन शुक्ला मेला भरे, जय जय बाबा श्याम ।
श्याम समान दाता नहीं, विपत्ति निवारण हार, लीले के असवार हे, कलियुग के अवतार ।
फागुन शुक्ला द्वादशी उत्सव भारी होय, बाबा के दरबार से खाली जाए न कोय।
उमा पति लक्ष्मी पति सीता पति श्री राम, लज्जा सब की रखियो खाटू के बाबा श्याम ।
पान सुपारी इलायची इत्तर सुगंध भरपूर, सब भक्तन की विनती दर्शन देवो हुजूर ।
एक घड़ी आधी घड़ी आधी में पुनि आध, तुलसी संगत साधकी, हरे कोटि अप्राध ।
देवं दीन्हि दुंदुभि प्रभु पर बरसे फूल, हरषे पुर नर नारी सब, मिते मोहमय सूल ।
भक्त जन तो प्रेम से हरे श्याम को ध्यान खाटू मंडल पावे सदा, श्याम कृपा से मान ।
खाटू मंडल पावे सदा, श्याम कृपा से मान, श्याम कृपा से मान, श्याम कृपा से मान ।

Scroll to Top